गीतकार : शैलेन्द्र सिंह | राग : जोग |
चित्रपट : बंदिनी | संगीतकार : सचिनदेव बर्मन |
भाव : विदायी | गायन : मुकेश |
ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना,
ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना,
ये खाट, तू ये बाट कहीं भूल ना जाना,
ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना॥स्थायी॥
बचपन के तेरे मीत तेरे संग के सहारे,
बचपन के तेरे मीत तेरे संग के सहारे,
ढूँढेंगे तुझे गली-गली सब ये गम के मारे,
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना॥१॥
ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना।
दे-दे के ये आवाज कोई हर घड़ी बुलाये,
दे-दे के ये आवाज कोई हर घड़ी बुलाये,
फिर जाये जो उस पार कभी लौट के ना आये,
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना॥२॥
ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना,
ये खाट, तू ये बाट कहीं भूल ना जाना।
ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना।