गीतकार : रविन्द्र जैन | राग : |
चित्रपट : चितचोर (१९७६) | संगीतकार : रविन्द्र जैन |
भाव : प्रेम | गायन : येसुदास, हेमलता |
तू जो मेरे सुर में,
तू जो मेरे सुर में,
सुर मिला ले, संग गा ले,
तो जिन्दगी हो जाये सफल।
तू जो मेरे मन का,
तू जो मेरे मन का,
घर बना ले, मन लगा ले,
तो बन्दगी हो जाये सफल॥स्थायी॥
तू जो मेरे सुर में।
ओऽ, आऽ,
ओहो, ओहो, ओऽ
चाँदनी रातों में, ओऽ
हाथ लिये हाथों में,
ओऽ चाँदनी रातों में, हाथ लिये हाथों में,
डूबे रहें एक-दूसरे की रस भरी बातों में।
होऽ, तू जो मेरे संग में,
तू जो मेरे संग में,
मुस्कुरा ले, गुनगुना ले,
तो जिन्दगी हो जाये सफल॥१॥
तू जो मेरे मन का,
तू जो मेरे मन का,
घर बना ले, मन लगा ले,
तो बन्दगी हो जाये सफल।
तू जो मेरे सुर में।
ध नि ग, रे ग रे सा रे ग म ग म ग रे,
रे ग रे नि ध प म प रे ग ध प ग म ग रे,
ध नि ग, रे ग, ग म।
क्यों हम बहारों से, ओऽ
खुशियाँ उधार लें,
होऽ क्यों हम बहारों से खुशियाँ उधार लें,
क्यों ना मिल के हम ही खुद अपना जीवन सँवार लें।
ओऽ, तू जो मेरे पथ में,
तू जो मेरे पथ में,
दीप बा ले, हो उजा ले,
तो बन्दगी हो जाये सफल॥२॥
तू जो मेरे सुर में।
म ध नि सा, म ध नि सा,
म ग रे सा, म ग रे सा,
नि ग ग, स रे रे,
नि सा प ग रे सा नि ध म ग सा ग म ध नि सा ।
तू जो मेरे सुर में,
सुर मिला ले, संग गा ले,
तो जिन्दगी हो जाये सफल।
तू जो मेरे सुर में।
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