गीतकार : शैलेन्द्र | राग : |
चित्रपट : सीमा (१९५५) | संगीतकार : शंकर जयकिशन |
भाव : प्रार्थना | गायन : मन्ना डे |
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम।
लौटा जो दिया तूने,
लौटा जो दिया तूने,
चले जायेंगे जहाँ से हम,
चले जायेंगे जहाँ से हम॥स्थायी॥
तू प्यार का सागर है,
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम।
तू प्यार का सागर है।
हममऽ
घायल मन का पागल पंछी,
उड़ने को बेकरार, उड़ने को बेकरार।
पंख है कोमल, आँख है धुँधली,
जाना है सागर पार, जाना है सागर पार।
अब तू ही इसे समझा,
अब तू ही इसे समझा,
राह भूले थे कहाँ से हम,
राह भूले थे कहाँ से हम॥१॥
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम,तेरी एक बूँद के प्यासे हम।
तू प्यार का सागर है।
हममऽ
ईधर झूम के गाये जिन्दगी,
उधर है मौत खड़ी, उधर है मौत खड़ी।
कोई क्या जाने कहाँ है सीमा,
उलझन आन पड़ी, उलझन आन पड़ी।
कानों में जरा कह दे,
कानों में जरा कह दे,
कि आयें कौन दिशा से हम,
कि आयें कौन दिशा से हम।
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम,तेरी एक बूँद के प्यासे हम।
तू प्यार का सागर है,
तू प्यार का सागर है।
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