गीतकार : आनंद बक्शी | राग : |
चित्रपट : आप आए बहार आई (१९७१) | संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल |
भाव : विरह | गायन : मोहम्मद रफ़ी, लता मङ्गेश्कर |
अगर तूफां नहीं आता, किनारा मिल गया होता।
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता,
अगर तूफां नहीं आता, किनारा मिल गया होता॥स्थायी॥
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता।
ना था मंजूर किस्मत को,
ना थी मर्जी बहारों की,
नहीं तो इस गुलिस्तां में,
नहीं तो इस गुलिस्तां में,
कमीं थी क्या नजारों की।
मेरी नजरों को भी कोई नजारा मिल गया होता॥१॥
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता।
खुशी से अपनी आँखों को,
मैं अश्कों से भीगो लेता,
मेरे बदले तू हँस लेती,
मेरे बदले तू हँस लेती,
तेरे बदले मैं रो लेता।
मुझे ऐ काश तेरा दर्द सारा मिल गया होता॥२॥
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता,
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता।
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